ISIS thriving in INDIA
भारत में पनपता ISIS मैं ये लेख उस वक़्त लिख रहा हूँ, जब भारत एक आग से धधक रहा है। ये आग दुष्यंत कुमार की आग, ‘ हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिये ’ से बिल्कुल भी संबंधित नहीं है। ट्विटर पर, फ़ेसबुक पर, व्हॉट्सएप्प पर जनता के भीतर एक अजब किस्म का आक्रोश है ; सामने वाले को ख़त्म कर देने का आक्रोश, सामने वाले को अपनी बात कहने से पहले ही उसकी जान ले लेने का आक्रोश। और ये आक्रोश, व्यक्ति की प्रसिद्धि, उसके स्टेटस और उस व्यक्ति का किस व्यक्ति के विरोध में स्वर है ; पर निर्भर है। टीवी चैनल की बाइटों में एक व्यक्ति के दाँतों से किटकिटाती आवाज़ का स्वर और कही गई बात- ‘ अगर फलाँ नेता मेरे हाथ लग जाए, तो मैं अभी उसे मौत के घाट उतार दूँ ’ , या फिर ‘ फलाँ नेता पर तो जूते चप्पल चलने चाहिये ’ । स्याही फेंकने, जूता फेंकने, थप्पड़ मारने से अगर स्वराज आता तो नए 2000 के नोटों में गाँधी की तस्वीर की जगह गोलियाँ हाथ में लिये गोडसे होते। आपको पता है, कौन लोग हैं ये या किस विचारधारा से आते हैं ? ये उस विचारधारा से आते हैं, जिस विचारधारा से निर्भया काण्ड करने वाले अपराधी आते हैं। इनके अंद