Posts

Showing posts from August, 2018

एक दोधारी तलवार : सोशल मीडिया

द्वितीय विश्वयुद्ध की ख़ूनी झाँकी के बाद दुनिया भौतिक क्रान्ति से निकलकर डिजिटल क्रान्ति की तरफ़ कूच कर रही थी और समाज सड़कों, गलियों और गाँवों की सीमाएं तोड़कर वैश्विक हो रहा था, उससे प्रेरणा लेते हुए लगभग 1970 के दशक के आस-पास ‘ सोशल मीडिया ’ शब्द की हल्की हल्की गूँज दुनिया के कानों में पहुंची। सन् 2000 का दशक आते आते इस शब्द की महत्ता इतनी बढ़ गई थी कि अमेरिका में एक बड़ा शहर अस्तित्त्व में आया जिसे हम सब सिलिकॉन वैली के नाम से जानते हैं। विश्व को डिजिटल रूप से जोड़ने की कोशिश में पूरी दुनिया का तकनीकी दिमाग एक जगह पर पूरी मेहनत के साथ लगा हुआ था, क्योंकि यह तंत्र ही आने वाले भविष्य की दस्तक भी थी और क्रान्ति का सबसे घातक ज़रिया भी। “ कम्प्यूटर या मोबाइल द्वारा लोगों से संपर्क स्थापित करना , संवाद करना सोशल नेटवर्किंग कहलाता है और जिस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल यहाँ किया जाता है, उसे कहते हैं सोशल मीडिया। “ दौर बदल रहा था। सन् 1985 में एक ओर जहाँ राजीव गाँधी भारत में कम्प्यूटर क्रान्ति की कवायद कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसको आने वाले समय का सबसे बुरा निर्णय बता रहा था