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केदारनाथ: दर्शन से लेकर मोक्ष की एक अद्भुत यात्रा

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श्रेयः विकिमीडिया लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ भोले बाबा का पवित्र स्थान, केदारनाथ, जहाँ भक्त हर साल बाबा की अपने हाथों से सेवा करते हैं। उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में लाखों दुःख और कठिनाइयाँ झेलते हुए भक्त बाबा के घर पर दस्तक देते हैं। भोले बाबा भी आशुतोष हैं, बस हाथ जोड़ो और बाबा संतोष पा जाते हैं। उत्तराखंड की उँची चोटियों के बीच बसा केदारनाथ धाम वो स्थान है जहाँ लाखों तीर्थ यात्री एक बार तो ज़रूर जानना चाहते हैं। तो अगर आप भी भोले के करीब जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो नीचे दी गई जानकारी आपके बहुत काम आएगी! केदारनाथ की कहानी, रोचक और पुरानी केदारनाथ का इतिहास उतना ही रोमांचक है, जितनी अद्भुत हैं केदारनाथ की कहानी। प्राचीन काल से अभी तक कई कहानियाँ केदारनाथ धाम से जुड़ी हुई हैं। राहुल सांकृत्यायन तक इसका ज़िक्र अपनी कहानियों में कर चुके हैं। जब केदार में ही बस गए भगवान एक कहानी कुछ ऐसी है कि भगवान विष्णु के अवतार नर व नारायण ऋषि हिमालय के केदार नामक स्थान पर भगवान शिव की तपस्या करते थे। भगवान तुरंत प्रसन्न हुए और इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा यहीं वास करने का

वो शाम है अब तक याद मुझे...

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सितम्बर का महीना था, शाम का वक़्त, हवाओं में मद्धम सी ठंड घुलने लगी थी, हल्के हल्के बादल आसमान पर परत दर परत बनकर घूम रहे थे। मैं LPU के गेट के बाहर अपने दोस्त भुवन का इंतज़ार कर रहा था। उसने कॉल पर बोला कि, “Bhai, wait for me, I am coming in 15 mins.” तब तक मैं गेट पर आते जाते लोगों को देख रहा था। यहाँ की दुनिया सच में ग़ज़ब है। एक दिन में इतनी आलीशान गाड़ियाँ शायद मैंने पहली बार देखी होंगी। मर्सिडीज़, फ़रारी जो नाम लो, वो गाड़ी इतनी देर में मैंने देख ली थी। यूँ ही इस जगह का नाम फ़ेमस नहीं है। ख़ैर... ढेर सारे लोगों के गुज़रते हुए तभी किसी पल में मेरी नज़र एक बच्ची पर पड़ी। बमुश्किल 2 साल की उम्र। सड़क पर मिट्टी से खेलती हुई एक अबोध बच्ची। अपने में बेहद ख़ुश, निर्मोही। मिट्टी ही मानो उसका खिलौना हो। एक दो साल की मासूम बालिका, जो आने वाली त्रासदी से बिल्कुल अनजान है। उसके माँ बाप सड़क के किनारे टीन की दीवारों की बनी झोपड़ी में रहते हैं। छत भी टीन की है, जिस पर बारिश से बचने के लिए काली पन्नी की चादर चस्पा है।  एक बच्ची, जो कुछ साल बाद बड़ी होकर अपने माँ बाप की तरह मज़दूर बनेगी। फिर उसक