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Showing posts from September, 2016

Creation by God, Men and Women.

There is a story behind the origin of the world. When lord created man and took rest for some time, then lord created women. After that, neither lord took rest, nor men. That is a false story, there is a truth beyond that. जब विधाता ने खुश हो, धरती पर पुरुष बनाया था। अपनी इस सुन्दर रचना पर, मन ही मन हर्षाया था।। वज्र शरीर, सिंह सी बाँहें, मिली पुरुष को शक्ति अपार। ताकत बल कौशल क्षमता से पा सकता था सकल संसार।। अपनी इस ताकत क्षमता का, करने लगा वह दुरुपयोग। समग्र धरती का विनाश कर शुरू कर दिया पूर्णभोग।। उसी पुरुष को सबक सिखाने, रोकने हर कलाकारी को। विधाता ने तब जन्म दे दिया, स्वर्ग से सुन्दर नारी को।। कोमल हाथ, नयन मृग, मादक, सुन्दर मन संग भोलापन। हाय पुरुष ख़ुद को खो बैठा, पा करके उसका दर्शन।। वाद विवाद में चतुर थी नारी, पुरुष को टक्कर देती थी। कभी हारती पुरुष से जब, तब आँसू से हर लेती थी।। नारी की चालों से नर, अपने चौसर पर छल जाता। खीझ के सर को खुजलाता, ख़ुद से ख़ुद पर वह झल्लाता।। लेकिन इस कठोर दुनिया में, प्रपंच व छल भी होता

Love Poetry at mid night

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Love Poetry पहला इश्क जो होता है, बस हो ही जाता है। मन ख्वाबों में जो खोता है, बस खो ही जाता है। रातों में, बातों में, कलम को थामे हाथों में। बस ज़िक्र तुम्हारा होता है। आख़िर ये क्यों होता है। तुम बिन मन क्यों रोता है। मैंने तो बड़ों से सीखा है, कि विरह प्रेम का अवयव है। जो इनसे लड़कर जीत गया, वही तो सच में मानव है।। पर रातों के काले सन्नाटे,       तेरी आवाज़ सुनाते हैं। चाँद पे बादल के घेरे,  तेरा चेहरा दिखलाते हैं। जब अन्दर का खालीपन,       अन्तर को अन्दर से डँसता है। इनको पाकर हम जो लिख दें,       वो महफ़िल को बतलाते हैं। वो सहज हँसी, वो अल्हड़पन,       तिरछी नज़रें, वो पागलपन। मेरे मन का मानव भी,       तुमको पाकर ज्यों खोता है।       बस ज़िक्र तुम्हारा होता है।       बस ज़िक्र तुम्हारा होता है।।       मंगलम् भारत BManglam.blogspot.in

Submission on Sustainable Development Goals adopted by United Nations in Sept. 2015 in IIPM (Indian Institute of Public Administration).

संयुक्त  राष्ट्र  संघ  द्वारा  सितंबर  2015  में  गए  अपनाए  संपोषित  विकास  के  लक्ष्य       पिछले  कुछ  दशकों  में  विश्व  ने  विकास  के  नए  कीर्तिमान  रचे  हैं।  आज  भारत  के  साथ  समस्त  विश्व  वैसा  नहीं  रहा,  जैसा  19वीं  सदी  में  हुआ  करता  था।  तब  हमारे  पास  न  रात  के  वक़्त  बल्ब  था,  न  बात  करने  के  लिये  फ़ोन  और  न  ही  गर्मी  से  बचने  के  लिये  कूलर।  इस  काल  में  विज्ञान  और  तक़नीकी  ने  जो  प्रगति  की  है,  वह  निश्चित  रूप  से  प्रशंसा  के  योग्य  है ;   परन्तु  इसी  काल  में  जनसंख्या  वृद्धि  का  विस्फोट  और  प्रकृति  का  अत्यधिक  संदोहन  पूरे  विश्व  में  चिंता  का  कारण  बना  हुआ  है।  सात  बिलियन  की  जनसंख्या  के  लिये  रहने  को  ज़मीन,  खाने  को  भोजन  और  पीने  को  पानी  जुटाने  के  लिये  कंपनियाँ  इस  धरती  का  दुरुपयोग  कर  रही  हैं।  एक  वैज्ञानिक  के  अनुसार  अगले  100  वर्षों  में  मनुष्य  का  अस्तित्व  भी  संकट  में  नज़र  आ  रहा  है।  प्रत्येक  राष्ट्र  की  सरकार  के  साझा  संवाद  से  संयुक्त  राष्ट्र  को  17  ऐसे  बिन्दु  मिले,  जिन 

Meaning Of Independence

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आँखों   में   हो   लाख   सुख़न   तो   कहना   सुब्ह-ए-आज़ादी साँसों   में   हो   नई   अगन   तो   कहना   सुब्ह-ए-आज़ादी जब   ख़ून   तेरा   न्यौछावर   तो   कहना   सुब्ह-ए-आज़ादी जब   कौम   में   सभी   बराबर   हों   तो   कहना   सुब्ह-ए-आज़ादी             पन्द्रह   अगस्त   का   सूरज   अपने   साथ   ढेर   सारी   ऊर्जा ,  जज़्बा ,  देशप्रेम   और   उल्लास   लेकर   आता   है।   घरों   से   निकलते   हुए   नेताजी ,  बापू   और   भगत   सिंह   की   पोशाक   में   निकलते   हुए   छोटे   बच्चे   अपनी   तोतली   आवाज़   में   भारत   माता   की   जय ,  वन्दे   मातरम्   के   नारे   लगाते   हुए   बहुत   प्यारे   लगते   हैं।   साइकिल   के   हैण्डलों   पर   लगे   तिरंगे   झण्डे ,  एफएम  पर  चलते   आज़ादी   के   गाने ,  स्कूलों   में   सुबह   आठ   बजे   की   हलचल ,  सड़कों   पर   से   निकलती   रैलियाँ ,  टेलीविज़न   पर   प्रधानमंत्री   का   राष्ट्र   के   नाम   संदेश   और   व्हॉट्सएप्प   की   डीपी   पर   तिरंगी  वॉलपेपर  बताते  हैं  कि  आज  आज़ादी  का  दिन  है।     आज   के   दिन   सभी   प्यारे