Posts

Showing posts from November, 2016

ISIS thriving in INDIA

Image
भारत में पनपता ISIS      मैं ये लेख उस वक़्त लिख रहा हूँ, जब भारत एक आग से धधक रहा है। ये आग दुष्यंत कुमार की आग, ‘ हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिये ’ से बिल्कुल भी संबंधित नहीं है। ट्विटर पर, फ़ेसबुक पर, व्हॉट्सएप्प पर जनता के भीतर एक अजब किस्म का आक्रोश है ; सामने वाले को ख़त्म कर देने का आक्रोश, सामने वाले को अपनी बात कहने से पहले ही उसकी जान ले लेने का आक्रोश। और ये आक्रोश, व्यक्ति की प्रसिद्धि, उसके स्टेटस और उस व्यक्ति का किस व्यक्ति के विरोध में स्वर है ; पर निर्भर है। टीवी चैनल की बाइटों में एक व्यक्ति के दाँतों से किटकिटाती आवाज़ का स्वर और कही गई बात- ‘ अगर फलाँ नेता मेरे हाथ लग जाए, तो मैं अभी उसे मौत के घाट उतार दूँ ’ , या फिर ‘ फलाँ नेता पर तो जूते चप्पल चलने चाहिये ’ । स्याही फेंकने, जूता फेंकने, थप्पड़ मारने से अगर स्वराज आता तो नए 2000 के नोटों में गाँधी की तस्वीर की जगह गोलियाँ हाथ में लिये गोडसे होते। आपको पता है, कौन लोग हैं ये या किस विचारधारा से आते हैं ? ये उस विचारधारा से आते हैं, जिस विचारधारा से निर्भया काण्ड करने वाले अपराधी आते हैं। इनके अंद

Is the pace of Growth and Development determined by the Quality of Governance?

Image
क्या विकास और प्रगति की गति, शासन की गुणवत्ता पर निर्भर करती है ? बदल रही है ज़िन्दगी, साल बदल रहे हैं। बदल रहा है देश, यहाँ के हाल बदल रहे हैं। लेकिन नहीं बदल रहे हमारे सामने, कुछ पुराने बवाल आज भी हैं। ज़िन्दगी तो गुज़र रही है रफ़्ता रफ़्ता, लेकिन कुछ तीख़े सवाल आज भी हैं।             पिछले सत्तर सालों में भारत में होने वाले परिवर्तन का सीधा असर हमारी विचारधाराओं से होता हुआ चर्चाओं और बहसों तक हुआ है। आज से दस साल पहले, बीस साल पहले हम चर्चा किया करते थे कि क्या गरीबी सच में कम हुई ? क्या प्रशासन अपना काम नहीं कर रहा है ? लेकिन आज हम उस मुहाने पर खड़े हैं, जहाँ से विकास और प्रगति का पथ प्रशस्त होता साफ़ दृष्टिगोचर होता है।       अगर आप मुझसे पूछिये कि क्या विकास और प्रगति की गति, शासन की गुणवत्ता पर निर्भर करती है ? तो मैं कहूँगा हाँ, निश्चित रूप से ; विकास व प्रगति तय करने में शासन का महत्त्वपूर्ण योगदान है।       लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूँ, कि क्या सिर्फ़ शासन की गुणवत्ता सुधार कर विकास एवं प्रगति संभव है ? नहीं, बिल्कुल भी नहीं, कदापि नहीं।