Yoga, Meaning and Importance
योगा से होगा?
योग !!! योग,
सुबह पाँच बजे किसी घर से आती फू फाँ की आवाज़
से ज़्यादा जगह नहीं बना पाया था। परन्तु आज तो फ़ेसबुक की फ़ीड से लेकर
प्रधानमंत्री की ट्वीट तक, सब जगह योग ही
योग छाया हुआ है।
मेरा भी मन किया योग को जानने का कि योग आख़िर होता क्या है, तो एक खोजी वेबसाइट ने तो योग के ऐसे
ऐसे मतलब समझाए कि दिमाग ही भन्ना गया। दूसरी कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा तीन और तीन
छः बोलता है, तो इसे भी तो योग
ही कहते हैं जनाब। या फिर मेरे जैसा मात्र दो सौ छः हड्डी वाला सिंगल
पसली लड़का, जो चिकन को चम्मच
से हटाकर उसकी ग्रेवी को खाता हो (ये भी शुद्ध शाकाहारी की एक क्वालिटी होती है) और
अपनी माँ से छिपकर दो सुन्दर कन्याओं के साथ प्रेम संबंध में (सुखी)
है, ये भी तो ऊपर वाले का योग
है। योग के अपने अपने खेल हैं। प्रधानमंत्री जी की वेबसाइट खोली तो उसमें वो एक जगह आँख बन्द कर
बैठे हुए थे और उनके आस-पास काफ़ी सारे लोग आँख बन्द करने की एक्टिंग कर रहे थे (एक्टिंग
इसलिये कहूँगा क्योंकि बचपन में प्रार्थना करते समय मैं भी कभी-कभी ये करता था।) ये भी योग है साहब।
श्री कृष्ण की गीता में भी अठारह में चार अध्याय में कर्म योग, भक्ति योग, ध्यान योग व
पुरुषोत्तम योग की बात कही गई है। जब बहुत देर तक सर खपाया, तब जाकर बात समझ आई। केवल साँस अन्दर खींचने और बाहर छोड़ने का नाम योग नहीं
है, या अपने शरीर की
उल्टी-पुल्टी कलाकृतियाँ बनाकर बैठ जाना भी योग नहीं है। ज़िन्दगी को बेहतर तरीके से जीने का नाम है योग,
शरीर में रहते हुए आत्मा का परमात्मा से मिलन
है योग। विज्ञान यह मानता है कि इंसान का शरीर, ऊर्जा का बना है। साथ ही यह पूरा विश्व भी ऊर्जा का ही बना
है। इसलिये ऊर्जा का आदान जिस प्रक्रिया द्वारा हम अपने शरीर में करते हैं, उसे भी योग कहते हैं। इंसान और प्रकृति के बीच का बेहतर सामंजस्य है
योग।