Script of Street Play Scene - 3

नुक्कड़ नाटक (भाग-3)


अरे पता चला तुझे?
अरे हाँ यार।

अरे पता चला तुझे?
हाँ भाई हाँ। बिन बताए सीधे ही।

अरे पता चला तुझे?
ना भाई ना, क्या हो गया, कोई बम फटा क्या?
कोई पिटा क्या?

अरे कोई बम नहीं फटा, कोई नहीं पिटा। यूनिवर्सिटी अगले साल फ़ीस बढ़ा रही है।
क्या.....???

कुछ तो करना पड़ेगा दया, कुछ तो करना पड़ेगा।
क्या टप्पू के पापा?

हमें कुछ ऐसा करना होगा, जो उन्हें जड़ से हिला दे।
कैसे

खड़ा करना होगा एक आंदोलन
जो सारे बच्चों की आवाज़ बन जाए

जिससे सुधर जाए फ़ीस का मसला
अगले सेमेस्टर की स्टार्टिंग डेट
ना करे इंटर्नशिप में लफ़ड़ा

अगर कर दो गुरू, तो सारा काम बन जाए
शिवानी के भरोसे....

अरे चुप....
अबे कोई इसे शिवानी दिलाओ यार, शिवानी के प्यार में बावला हुआ जा रहा है ये

करना क्या होगा?
सारे बच्चों को VC सर से मिलाना पड़ेगा
अपनी समस्या समझानी होगी
तब जाकर बनेगी बात
चलो। करते हैं सोमवार को मुलाकात
वैसे भी मंगल को है छुट्टी, सोएंगे सारी रात

अगला.......दिन

कहाँ हैं तुम्हारे साथी बिरादर?  आज दोपहर 12 बजे का टाइम मिला है
अरे पहुँच जाएंगे। आधा घंटा लेट कौन सा क्राइम है

अभिषेक। नहीं निकलना क्या घर से। क्या है तेरी मर्ज़ी?
बस, पाँच मिनट में घर से निकल रहा हूँ सर जी।

भाई, आज जा रहा यूनिवर्सिटी?
भाई, कल फिर से है छुट्टी, करने दे आराम
परसों को आराम से करेंगे सारा काम

लेकिन आज आवाज़ का दिन है, यूनिटी की बात है
VC सर से मिलना है, कोई छोटी मोटी बात है

अरे नहीं पहुँचे गर दो जन, तो क्या घट जाएगा?
और मान ले पहुँचे, तो मामला निपट जाएगा?

इसलिये, मान ले मेरी बात, मेरे साथ पहुँचियो, TUESDAY की रात।

ठीक है भाई।

अरे यार! लोग कहाँ रह गए
लोग कहाँ रह गए
लोग कहाँ रह गए
पता नहीं कहाँ रह गए, लो VC सर भी आ गए

हाँ, तो बताओ अपनी समस्या

सर, समस्या तो ऐसी है

-पता है न कैसी है, पता है ना

हाँ, तुम्हारी बातों में तो दम है,
लेकिन इस प्रस्ताव से नाराज़ लोग, देखो कितने कम हैं
अरे, 1500 की यूनिवर्सिटी, कुछ को है नाराज़ी
बदलें कैसे प्रस्ताव, गर बाकी सब हैं राज़ी

-यही होता है अक्सर, जब सच बात कही जाती है
सामूहिक ताक़त न हो, तो हर बात दबी रह जाती है
यूनिवर्सिटी को तुम्हारी ज़रूरत है, आओ अब हुंकार भरो
अपनी ताक़त पहचानो, और ख़ुद की जय जयकार करो

बाकी सब- अपनी ताक़त पहचानो, और ख़ुद की जय जयकार करो
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