Creation by God, Men and Women.
There is a story behind the origin of the world.
When lord created man and took rest for some time, then lord created women.
After that, neither lord took rest, nor men.
That is a false story, there is a truth beyond that.
जब विधाता ने खुश हो, धरती पर पुरुष बनाया था।
अपनी इस सुन्दर रचना पर, मन ही मन हर्षाया था।।
वज्र शरीर, सिंह सी बाँहें, मिली पुरुष को शक्ति अपार।
ताकत बल कौशल क्षमता से पा सकता था सकल संसार।।
अपनी इस ताकत क्षमता का, करने लगा वह दुरुपयोग।
समग्र धरती का विनाश कर शुरू कर दिया पूर्णभोग।।
उसी पुरुष को सबक सिखाने, रोकने हर कलाकारी को।
विधाता ने तब जन्म दे दिया, स्वर्ग से सुन्दर नारी को।।
कोमल हाथ, नयन मृग, मादक, सुन्दर मन संग भोलापन।
हाय पुरुष ख़ुद को खो बैठा, पा करके उसका दर्शन।।
वाद विवाद में चतुर थी नारी, पुरुष को टक्कर देती थी।
कभी हारती पुरुष से जब, तब आँसू से हर लेती थी।।
नारी की चालों से नर, अपने चौसर पर छल जाता।
खीझ के सर को खुजलाता, ख़ुद से ख़ुद पर वह झल्लाता।।
लेकिन इस कठोर दुनिया में, प्रपंच व छल भी होता है।
तर्क जहाँ पर थक जाएँ, तो आदम बल भी होता है।।
नर ने लिख विपरीत नियम, इक काला काल सजा डाला।
‘पाबंदी’ की माया रचकर, छल का जाल बिछा डाला।।
आने जाने पर पाबंदी, गाना गाने पर पाबंदी।
आज़ादी पर भी पाबंदी, और कपड़े पर पाबंदी।।
पैदा होने से पहले ही उसका, गर्भ में मर जाना।
आठ बजे के बाद निषेध, उसका घर से बाहर जाना।।
इक इक कर ऐसे ही नर ने पाबंदी को बड़ा किया।
जहाँ जीतने लगती नारी, तो नियमों को कड़ा किया।।
हो गए बाग सभी सूने, धरती का सौहार्द मर गया।
पुरुष का पौरुष साथ रहा, पर अन्दर का वह मर्द मर गया।।
मैं छोटा कलम का बेटा, अपनी कलम तोड़ता हूँ।
पाबंदी की दंश भरी, दुनिया से तुम्हें जोड़ता हूँ।।
तुम पर सर्वस्व न्यौछावर है, मारो या श्रृंगार करो।
नर भी तुम नारी भी तुम, आँखें मूँदो या स्वीकार करो।।