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Showing posts from February, 2017

खुला ख़त, आपकी (ज़ीरो बटे सन्नाटा) इण्टरनेट स्पीड के नाम

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खुला   ख़ त ,   आपकी  ( ज़ीरो  बटे  सन्नाटा )   इण्टरनेट  स्पीड   के   नाम                     नमस्कार !!!   खुला  ख़त  पिछले  कुछ  समय  से  ट्रेंड  पर  चल  रहा  है।  मुख्यतः  ये  ख़त  किसी  (गैर)  ज़िम्मेदार  संस्था  को  उससे  त्रस्त  एक  अस्तित्त्वहीन(मान  लो)  मानुस  के  बीच  संवाद  स्थापित  करने  का  साधन  होता  है,  जिसको  (गैर)  ज़िम्मेदार  संस्था  को  छोड़कर  बाकी  सब  पढ़  लेते  हैं।  आज  अपनी  ज़िन्दगी  से  त्रस्त  होकर  मैंने  भी  एक  खुला  ख़त  लिखने  की  कोशिश  की  है।  प्रतिक्रिया  दें।     ...

Script of Street Play- Scene 2

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नुक्कड़ नाटक (भाग-2) Go to Scene - 1 Go to Scene -2 Go to Scene - 3 Go to Scene - 4 Go to Conclusion SCENE-2 वरुण, ऑडी में अपन हर साल ढेर सारे नाटक कराते हैं ना बिल्कुल सर। क्यों न अपन बच्चों के लिये 10-15 दिन की थियेटर वर्कशॉप कराएं। बच्चों को कुछ सीखने को भी मिलेगा। लाजवाब आइडिया है सर। मैं अभी नोटिफ़िकेशन डाल देता हूँ। सुनो सुनो भाई सुनो सुनो। सुनो सुनो भाई सुनो सुनो। अल्हड़ नादानों सुनो सुनो, नाटक के दीवानों सुनो सुनो अपनी यूनिवर्सिटी कराने जा रही है थियेटर की वर्कशॉप। वो भी एकदम फ़्री। नाटक के दीवानों के लिये, कम जानकार नादानों के लिये। कुछ नया सीखने की ज़द में आइये अगर खाली बैठे हैं आप, तो ज़रूर आइये अरे आइये, शिवानी के भरोसे, सलोनी के भरोसे, चले आइये अगला......दिन खुली हवा में साँस, माँ वैष्णों के पास। हम बड़े गौरवान्वित, करते हैं सम्मान। आपको सिखाने आएंगे, चन्द्रचूड़ जी मान। स्वागत है आपका सर। अरे, लेकिन सारे बच्चे कहाँ है ? सर, सारे बच्चे यहाँ हैं 1500 की यूनिवर्सिटी, अलग फ़ैकल्टी साथ। वर्कश...

My first Dubbed Video

Script of Street Play

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(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2                                   (अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)                                   (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)                                   अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल की परतें खोलेंगे                      अरे सच को गले लगाएंगे, नुक्कड़िये कहलाएंगे                                  (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2 ...

Degenerative Political System calls for tyranny

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भारत की अपक्षीय राजनीतिक व्यवस्था, निरंकुश तंत्र को बढ़ावा नहीं देती है। समाज से बनी सरकार, समाज से बना संविधान इन दोनों का सम्मिलन, सुगम संगम है ये समझे इन्हें जो सारहीन, सोंचे इन्हें जो शक्तिहीन मेरी समझ से सोंच सको, तो दृश्य विहंगम है ये       मुझे गर्व है भारत की उस राजनीतिक व्यवस्था पर, और भरोसा है भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 पर, जो सरकार को इतनी शक्ति तो देता है कि वह अपनी योजनाएँ जनमानस में रख सके, परन्तु निषेध कर देता है उन सभी नियमों और कानूनों को, जो जनमानस के पक्ष में नहीं होते।       निरंकुशता वह तत्त्व है, जो सरकार को समाज में अपमानित करता है, सरकार की साख गिराता है, और इसी गिरी हुई साख के चिंगारे एक नई आग को जन्म देते है, जिसे अंग्रेज़ी में anti incumbency और हिन्दी में विरोधी लहर कहते हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई राजनीतिक व्यवस्था होगी, जो अपने प्रति विरोधी लहर को जन्म देगी। अर्थात् भारत की अपक्षयी राजनीतिक व्यवस्था निरंकुश तंत्र को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि उसे रोकती है, ख़त्म करती है। ...

काव्यांजलि, Srijan 2K17

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काव्यांजलि, Srijan 2K17 मंगलम् भारत BManglam.blogspot.in