(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2 (अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये) (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये) अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल की परतें खोलेंगे अरे सच को गले लगाएंगे, नुक्कड़िये कहलाएंगे (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2 हजरात, हजरात, हजरात उठाता है कोई मुद्दा महिला सशक्तीकरण का कोई आरक्षण का तो कोई कसता है चोट राजनीतिक बर्बरता पर लेकिन कभी ज़रा सोंच के देखो, क्या कभी असर पड़ता है उस जनता पर नहीं, नहीं, नहीं इसीलिये तमाम सबूतों और गवाहों को मद्देनज़र रखते हुए, वायु सदन लेकर आया है ; गैर राजनीतिक, गैर विदेसी, पूर्ण स्वदेसी, जबरिया, लल्लनटाप नुक्कड़ नाटक, जिसका शीर्षक है................................... (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2 SCENE-1 साथियों। 13वाँ युवा महोत्सव शुर