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Fascinating Video goes viral on Social Media....

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Everyone should watch this video. How Sahir Ludhianvi explains the problems of India through his song. Voice of Mohd. Rafi and Asha Bhosle is also fascinating. Great acting by Sunil Dutt and children.  हमने सुना था एक है भारत सब मुल्कों से नेक है भारत लेकिन जब नज़दीक से देखा सोंच समझ कर  ठीक से देखा हमने नक्शे और ही पाए बदले हुए सब दौर ही पाए एक से एक की बात  जुदा  है धर्म जुदा है ज़ात जुदा है आपने जो कुछ हमको पढ़ाया हमको कहीं भी नज़र न आया -जो कुछ मैंने तुमको पढ़ाया उसमें कुछ भी झूठ नहीं भाषा से भाषा न मिले तो इसका मतलब फूट नहीं इक डाली पर रहकर जैसे फूल जुदा है पात जुदा बुरा नहीं गर हो हीं वतन में धर्म जुदा और ज़ात जुदा अपने वतन में...... -वो है जब कुरआन का कहना जो है वेद पुराण का कहना फिर ये शोर शराबा क्यूं है इतना ख़ून खराबा क्यूं है अपने वतन में......... -सदियों तक इस देश में बच्चों रही हुकूमत गैरों की अभी तलक हम सबके मुंह पर धूल है उनके पैरों की लड़वाओ और राज करो ये उन लोगों की हिम्मत थी उन लोगों की चाल में आना हम
NUKKAD NATAK BY VAYU HOUSE

कश्मीरी युवा सिर्फ़ पत्थरबाज़ नहीं...

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लखनऊ।  कश्मीर के युवाओं का जब भी ज़िक्र आता है, तो नज़र के सामने पत्थरबाजी करते लड़कों, हाथ में पाकिस्तान और आईएसआईएस का झंडा लिए तस्वीरें दिखती हैं, लेकिन कश्मीर के सभी युवा पत्थरबाज़ ही नहीं होते है। आतंकवाद के चेहरे के पीछे की कई तस्वीरें ऐसी भी हैं जो कश्मीर की हक़ीक़त को उसके स्याह पन्नों से काफ़ी दूर लेकर जाती हैं। सिविल सर्विस हो या सेना, सिनेमा हो या साहित्य, फोटोग्राफी हो या क्रिकेट हर क्षेत्र में कश्मीर के युवा देश का नाम रौशन कर रहे हैं।...... https://www.gaonconnection.com/desh/kashmiri-young-man-is-not-just-a-rocker

प्रोफ़ और स्टूडेण्ट के बीच पिस रहे हो, तो CR हो तुम।

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व्यथा, CR की             गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में ‘ तेरी कह के लूँगा ’ वाली लाइन पर पब्लिक ने खूब तालियाँ मारीं, लेकिन क्लास के CR की बात आए तो मुहावरा थोड़ा सा बदलकर ‘ तेरी पूछ के लूँगा ’ हो जाता है।             ‘ तो ज़िन्दा हो तुम ’ वाले जावेद अख़्तर साहब को CR पर लिखने के लिये कहा जाता तो शायद कुछ यूँ लिखते।   प्रोफ़ और स्टूडेण्ट के बीच पिस रहे हो, तो CR हो तुम। HOD संग meeting में ख़ुद को घिस रहे हो, तो CR हो तुम।। ख़त्म हो चुके हो तुम, प्रोफ़ तक असाइनमेंट पहुँचाने में। दिन गुज़रता है तुम्हारा, क्लास को शिफ़्ट कराने में।। चाहे हो मासबंक या SHORTAGE, फँसते हो तुम। 50 बच्चे, 10 प्रोफ़, 1 HOD से कैसे निपटते हो तुम।। हर वक़्त परेशानी में हँस रहे हो, तो CR हो तुम। प्रोफ़ और स्टूडेण्ट के बीच पिस रहे हो, तो CR हो तुम।।             CR का जन्म होता नहीं, किया जाता है। ज़बरदस्ती। पूरी क्लास के बच्चे मिलकर एक ऐसे बंदे या बंदी का नाम तय करते हैं, जिसे दुनिया जहान के हर लफड़े को सुनाया जाता है। रात के दो बजे तक वो ये बताता है कि कल क्लास की टा

मीडिया, लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ के रूप में अपने कर्त्तव्यों का सही निर्वाह नहीं कर रहा है।

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(पुराना लेख, अब लिखने का मौका लगा।) उसूल पर जहाँ आँच आए ,   टकराना ज़रूरी है।         जो हो ज़िन्दा तो ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है।।(वसीम बरेलवी)           वसीम बरेलवी का लिखा ये शे ’ र मीडिया पर ठीक तरह से लागू होता है। आज उन लोगों ने ही मीडिया को लोकतंत्र के कठघरे में खड़ा कर दिया है, जिनको मीडिया की बढ़ती सफलता फूटी आँख नहीं सुहाती। वे मीडिया की  स्वतन्त्रता से जलते हैं, और जब मीडिया के सवालों का जवाब नहीं होता, तो पूरे मीडिया को बिकाऊ बोलकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।           विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद लोकतंत्र की शुचिता को अगर किसी ने बचा कर रखा है, तो वह है मीडिया। मीडिया ठीक उसी तरह लोकतंत्र के लिये ज़रूरी है, जितना सरकार। आम जनता और सरकार के बीच संवाद का ऑपरेटिंग सिस्टम है मीडिया।           समय-समय पर  मीडिया ही आम आदमी की आवाज़ बनता जा रहा है तथा राष्ट्रनिर्माण में अपना सबसे बड़ा योगदान देता रहा है। एक 72 वर्षीय बुज़ुर्ग अन्ना हज़ारे की जोशीली आवाज़ से निकलती भारत माता की जय की हुंकार और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई, जो जन-जन

Script of Street Play Conclusion

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Conclusion Go to Scene - 1 Go to Scene -2 Go to Scene - 3 Go to Scene - 4 Go to Conclusion नज़र आपकी, सोंच आपकी, मुद्दा आपका है कैसे गुज़ारने हैं चार साल, नज़रिया आपका है खजूरिया को जॉब मिली, ये ज़रूरी है या पूछे उन सवालों के जवाब ज़रूरी हैं पलक झपकते ही गुज़र जाएंगे चार साल बाहर की दुनिया कर देगी बुरा हाल अगर नहीं कुछ सीखे, नहीं बने ख़ास बस हॉस्टल में बैठ कर करते रहे बकवास न वहाँ है माँ के हाथ का खाना, न वो दुलार बिना हुनर, बिना मेहनत दुनिया न करेगी स्वीकार गर्लफ्रेंड जाएगी भाग तुम्हारी कंगाली में पापा न देंगे साथ तुम्हारी कंगाली में इसीलिये ख़ुद को लो सुधार इन चार सालों में तराशो, ख़ुद को करो तैयार इन चार सालों में नज़र आपकी सोंच आपकी मुद्दा आपका है कैसे गुज़ारने हैं चार साल, नज़रिया आपका है Go to Scene - 1 Go to Scene -2 Go to Scene - 3 Go to Scene - 4 Go to Conclusion मंगलम् भारत BManglam.blogspot.in COMMENT WHAT YOU WANT TO SAY ABOUT THIS BLOG OR POST....