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भोलाराम की फ़ाइल

Narration फाइलों में दबी हुई ज़िन्दगी कैसी होती है साहब, मालूम है एकदम कुत्ते जैसी गरीब आदमी को हर कोई कुत्ता ही समझता है अपना काम न हो गया सरकार का काम हो गया वज़न धरो तब फ़ाइल आगे बढ़ती है और न धरो, तो धरने पे बैठ जाती है और साहब ऐसा मसला नहीं है कि ये फ़ाइल का खेल सिर्फ़ इस दुनिया में ही चल रहा है ऊपर भी सारा काम लेन-देन करके ही चल रहा है साहब एंट्री एग्ज़िट से लेकर स्वर्ग नर्क तक की सीट में भी फिक्सिंग हो रही है लेकिन पहली बार कुछ ऐसा हुआ कि यहाँ अटकी फाइल की वजह से वहाँ भूचाल आ गया साहब हमसे पूछिये तो यमराज की भी वाट लग गई हां..... Scene1 चित्रगुप्त- ओ होहो होहो बड़ा काम है भाई, बड़ा काम है एक तो ये धरती में तुम सबको तुम्हारे मां बाप पैदा करके छोड़ देते हैं अरे यहां तुम्हारे लिये स्पेशल लिस्ट क्रियेट करनी पड़ती है और बिग डेटा पर अभी इतना डेवलपमेंट नहीं हुआ है बेटा 7 अरब हो गए हो बढ़ते ही जा रहे हो, भगवान की मरजी के नाम पर कुछ भी करोगे मतलब... मेहनत तुम करो ठीकरा हमपे फोड़ दो। भगवान की मरजी...... इसको स्वर्ग में डालो रे. चार पेग

एक दोधारी तलवार : सोशल मीडिया

द्वितीय विश्वयुद्ध की ख़ूनी झाँकी के बाद दुनिया भौतिक क्रान्ति से निकलकर डिजिटल क्रान्ति की तरफ़ कूच कर रही थी और समाज सड़कों, गलियों और गाँवों की सीमाएं तोड़कर वैश्विक हो रहा था, उससे प्रेरणा लेते हुए लगभग 1970 के दशक के आस-पास ‘ सोशल मीडिया ’ शब्द की हल्की हल्की गूँज दुनिया के कानों में पहुंची। सन् 2000 का दशक आते आते इस शब्द की महत्ता इतनी बढ़ गई थी कि अमेरिका में एक बड़ा शहर अस्तित्त्व में आया जिसे हम सब सिलिकॉन वैली के नाम से जानते हैं। विश्व को डिजिटल रूप से जोड़ने की कोशिश में पूरी दुनिया का तकनीकी दिमाग एक जगह पर पूरी मेहनत के साथ लगा हुआ था, क्योंकि यह तंत्र ही आने वाले भविष्य की दस्तक भी थी और क्रान्ति का सबसे घातक ज़रिया भी। “ कम्प्यूटर या मोबाइल द्वारा लोगों से संपर्क स्थापित करना , संवाद करना सोशल नेटवर्किंग कहलाता है और जिस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल यहाँ किया जाता है, उसे कहते हैं सोशल मीडिया। “ दौर बदल रहा था। सन् 1985 में एक ओर जहाँ राजीव गाँधी भारत में कम्प्यूटर क्रान्ति की कवायद कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसको आने वाले समय का सबसे बुरा निर्णय बता रहा था

Street Play (Mard to hote hi kharab hain)

Shubham- Treata yug to khatm  ho liya Bhag gyi sita pit gye ram Nikhil- Bhole mann ko tyaag de pagle Dhan se hove sabka kaam Skand- Jo dikhta wo satya nhi hai Tu soch raha shehzada hai Manglam- Ye duniya chausar hai pyaare Tu to keval pyaada hai Shubham- Nar nari me bhed nhi hai Koi na bhola sab chalak Khushboo- Bahar se duniya jhuth i hai Sach pana hai, dil me jhaank Audio 1 (2 times)  Shubham starts and we start after one beat…… (Nikhil, Pranav, Ananya and Rishi in under area) Nikhil-26 july 2015 din ravivar Khushboo- Isi din times of india ne khabar chhapi, ki suicide karne wale shadishuda mard, aurat ki sankhya me, dogune hote hain Ananya- 8 farvari 2017 din budhwar Shubham- BBC ne khabar chhapi, ki dilli me shadi me baad, register hone wale aadhe se zyada case, farzi hote hain Rishi-2016 shashi tharoor sunanda pushkar maamla Pranav- 2017 hardik patel ki sex CD Shubham- Bina kisi baat, bina kisi faisle, bina  kisi