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नए साल का पहला निर्दयी सोमवार

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  साथियों! आज मैं आपसे एक गहन गम्भीर विषय पर बात करना चाहता हूँ और यह विषय है आलस। आलस क्या है?? आलस एक तपस्या है। जैसे रोज़ नहाने वाले लोग ठंडी के मौसम में जल संरक्षण के फ़ायदे नहीं जान पाएँगे, ठीक वैसे ही ये मेहनतकश दुनिया कभी नहीं जान सकेगी कि आलस का ईश्वरीय दर्शन से गहरा नाता है। आलस परमसुख है। एक आलसी व्यक्ति को इंस्टाग्राम डिगा नहीं सकता, फ़ेसबुक बहला नहीं सकता, ट्विटर फुसला नहीं सकता। जाड़े के महीनों में या फिर एक थके हुए वीकेंड के बाद सोमवार की सुबह यह अपने चरम स्तर पर होता है। इस कठिन दौर में एक आलसी व्यक्ति ही पहले अलार्म को बन्द करने के बाद ‘बस पाँच मिनट और’ का वो गहरा... सुकून भरा... आरामदायक... सुखद आनंद महसूस कर सकता है। इस सुख को वो क्या जानें जो पहले ही अलार्म में उठ जाते हैं या वो... जो केवल एक ही अलार्म लगाते हैं। नए साल के इस पहले निर्दयी सोमवार यानि आज मैं आपको एक कहानी सुनाना चाहता हूँ।  . ये कहानी कई बरस पुरानी है। कर्णपुर (आज का कानपुर) में एक राजा हुआ करता था, महाराजा सुविधी। अपने इलाक़े में उसका बड़ा प्रभाव था, नवाबगंज के गंगा बैराज से लेकर घंटाघर के रेलवे स्टे

केदारनाथ: दर्शन से लेकर मोक्ष की एक अद्भुत यात्रा

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श्रेयः विकिमीडिया लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ भोले बाबा का पवित्र स्थान, केदारनाथ, जहाँ भक्त हर साल बाबा की अपने हाथों से सेवा करते हैं। उत्तराखंड स्थित केदारनाथ मंदिर में लाखों दुःख और कठिनाइयाँ झेलते हुए भक्त बाबा के घर पर दस्तक देते हैं। भोले बाबा भी आशुतोष हैं, बस हाथ जोड़ो और बाबा संतोष पा जाते हैं। उत्तराखंड की उँची चोटियों के बीच बसा केदारनाथ धाम वो स्थान है जहाँ लाखों तीर्थ यात्री एक बार तो ज़रूर जानना चाहते हैं। तो अगर आप भी भोले के करीब जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो नीचे दी गई जानकारी आपके बहुत काम आएगी! केदारनाथ की कहानी, रोचक और पुरानी केदारनाथ का इतिहास उतना ही रोमांचक है, जितनी अद्भुत हैं केदारनाथ की कहानी। प्राचीन काल से अभी तक कई कहानियाँ केदारनाथ धाम से जुड़ी हुई हैं। राहुल सांकृत्यायन तक इसका ज़िक्र अपनी कहानियों में कर चुके हैं। जब केदार में ही बस गए भगवान एक कहानी कुछ ऐसी है कि भगवान विष्णु के अवतार नर व नारायण ऋषि हिमालय के केदार नामक स्थान पर भगवान शिव की तपस्या करते थे। भगवान तुरंत प्रसन्न हुए और इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा यहीं वास करने का

वो शाम है अब तक याद मुझे...

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सितम्बर का महीना था, शाम का वक़्त, हवाओं में मद्धम सी ठंड घुलने लगी थी, हल्के हल्के बादल आसमान पर परत दर परत बनकर घूम रहे थे। मैं LPU के गेट के बाहर अपने दोस्त भुवन का इंतज़ार कर रहा था। उसने कॉल पर बोला कि, “Bhai, wait for me, I am coming in 15 mins.” तब तक मैं गेट पर आते जाते लोगों को देख रहा था। यहाँ की दुनिया सच में ग़ज़ब है। एक दिन में इतनी आलीशान गाड़ियाँ शायद मैंने पहली बार देखी होंगी। मर्सिडीज़, फ़रारी जो नाम लो, वो गाड़ी इतनी देर में मैंने देख ली थी। यूँ ही इस जगह का नाम फ़ेमस नहीं है। ख़ैर... ढेर सारे लोगों के गुज़रते हुए तभी किसी पल में मेरी नज़र एक बच्ची पर पड़ी। बमुश्किल 2 साल की उम्र। सड़क पर मिट्टी से खेलती हुई एक अबोध बच्ची। अपने में बेहद ख़ुश, निर्मोही। मिट्टी ही मानो उसका खिलौना हो। एक दो साल की मासूम बालिका, जो आने वाली त्रासदी से बिल्कुल अनजान है। उसके माँ बाप सड़क के किनारे टीन की दीवारों की बनी झोपड़ी में रहते हैं। छत भी टीन की है, जिस पर बारिश से बचने के लिए काली पन्नी की चादर चस्पा है।  एक बच्ची, जो कुछ साल बाद बड़ी होकर अपने माँ बाप की तरह मज़दूर बनेगी। फिर उसक

तस्वीरें बोलती नहीं...

तस्वीरें बोलती नहीं, पर समेट लेती हैं सब अल्फ़ाज़ को, सब याद को, उस सफ़र को, जिसमें, हर बार होता हूँ थोड़ा सा मैं... और...थोड़ी सी ज़िन्दगी। ~मंगलम् भारत

मेरा पहला सोलो ट्रैवल

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2019 बीत गया... एक सुखद सपने की तरह। किसी बड़े आदमी ने कहा है कि साल तब तक नहीं बीतता, जब तक पुरानी यादें साथ रहती हैं। अगर ये बात है तो मैं अभी भी 2019 में ही जी रहा हूँ। और कुछ यादें तो 2020 में भी साथ रहेंगी... जैसे मेरा पहला सोलो ट्रैवल। श्रेयः आलोक कुमार सिंह एक बेपरवाह यात्री होना ही सोलो ट्रैवलर की पहचान है। दुनिया के सब सामाजिक मानकों की धज्जियाँ उड़ाते हुए घूमता है सोलो ट्रैवलर। किसी लम्हे में वो 'Into The Wild' का दुनिया की लफंडरबाजी से ऊब चुका हीरो होता है, तो किसी लम्हे में बहुत समझदार यायावर। उसके अपने मानक होते हैं। यही मानक उसे हर मंज़िल फतह करने का हौसला देते हैं, जो दूसरों के लिए पहाड़ से कठिन होते हैं। अगर 2020 को यादगार बनाना है तो एक सोलो ट्रिप आप भी ट्राय करो। सबसे पहले बोलने वाला आज चुप है... तो कहानी शुरू होती है मेरे एक मित्र अतिन सर की शादी से। शादी भी जीवन का पड़ाव है। समय रहते उसे भी पूरा हो जाना चाहिए। मैंने शादी को बहुत नितान्त व्यवस्था की तरह से देखा है जहाँ दो लोग एक दूसरे की निजी ज़िन्दगी में घुसकर शुभ विवाह का उदाहरण पेश करते हैं। शारीरिक ज़र

Major advancements that happened in the AI/ML industry in past two decades

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            Suppose you’re in Chennai and going for an interview. Your Google Duplex booked a cab at 11:15 AM. A Self driving cab came to your hotel and dropped you at 11:45 AM at your interview building. Your interview started at 12:00 AM and you came out at 1:00 PM. At 1:15 PM you were taking snacks, and then ABP news sent you a notification “Dear Manglam, here are the news for today. Typically replies within a second.” pic courtesy: internet             It may seem a dream 30 years ago but it has become a reality now. A basic thought which totally changed the paradigm of developing smart computers. In recent 30 years, the field of Artificial Intelligence has emerged at a certain level that it is expected that 70% of enterprise will implement AI in next 12 months. But it is not happened in a day. There is a long story behind the development of AI. Now, we will discuss about the history of AI and it subset Machine Learning.             Story starts from 1666 AD when