केजरीवाल के मोदी प्रहार का प्रदेश चुनाव पर असर

     जब से दिल्ली में अरविंद और केंद्र में नरेंद्र आए हैं, दिल्ली अपने आप में बेचारी बन कर रह गई है। अरविंद अपनी असमर्थता का ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ देते हैं और भाजपाई अरविंद पर दिल्ली की जनता से धोखेबाज़ी का आरोप लगाते रहते हैं। कुछ समय पहले ही केंद्र ने दिल्ली सरकार के 13 बिलों समेत जनलोकपाल का महत्त्वपूर्ण कानून भी असंवैधानिक रूप से पास कराने का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया। केजरीवाल को मोदी जी पर हमला बोलने का एक और बहाना मिल गया। और ऐसे भी, केजरीवाल मोदी जी पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। लेकिन केजरीवाल के इतने ज़्यादा मोदी प्रहार का कारण क्या है?

     जब से नरेन्द्र मोदी और अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति का चेहरा बने हैं, विकास का मुद्दा सबसे बड़ा हो गया है। नरेन्द्र मोदी जब गुजरात से दिल्ली आए थे, तो सिर्फ़ विकास का मुद्दे पर। देश के युवा ने 33 फ़ीसदी वोट और 282 सीटों के साथ प्रधानमंत्री का सेहरा मोदी के सिर पर बांध दिया। यहीं दिल्ली में अरविंद ने अपने 49 दिन की सरकार के काम और विकास के मुद्दे पर जनता के बीच वोट मांगे तो जनता ने 67 सीटों के साथ दिल्ली केजरीवाल को थमा दी। इस बीच सबसे ज़्यादा अगर किसी दल को नुकसान हुआ, तो वह है कांग्रेस। भाजपा और कांग्रेस की बहस अब नरेंद्र और अरविंद की बहस बनती चली गई। कांग्रेस का अस्तित्व टेलीविज़न की ख़बरों से लेकर ज़मीन तक में समाप्त होता चला गया। लोग अरविंद की जितनी भी आलोचना करें, लेकिन अरविंद ही वह शख्स है, जो कांग्रेस को हाशिये पर लाए  हैं  2002, 2007, 2012 जीतकर जब नरेंद्र भाई ने जब दिल्ली की कुर्सी पर नज़र जमा रहे थे, तो उन्होंने सीबीआई को तोता बताकर सारे आरोप कांग्रेस की सरकार पर लगाए, जिसका फायदा उठाकर उनको केंद्र के चुनाव में मिला भी। लेकिन इस बीच विकास का मुद्दा अहम रहा। ठीक इसी तरह अरविंद की साख इस बात से आंकी जाएगी कि आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह किस प्रकार का प्रदर्शन करते हैं। अगर वह दिल्ली फिर से जीत ले गए, तो देश भी उनको उसी तरह आशा भरी नज़रों से देखेगा, जिस तरह नरेंद्र भाई को देखा है। सीबीआई से लेकर सारे आरोप वैसे ही सच्चे लगने लगेंगे, जैसे मोदी जी की रैलियों में लगते थे। इसकी शुरुआत आने वाले पंजाब, गोवा और गुजरात चुनाव में भी दिखने लगेगी, क्योंकि तीनों जगह भाजपा या उनकी समर्थित सरकारें हैं जिन पर जीतना आपके लिये कठिन है। यहीं पर दिल्ली के काम का मूल्यांकन होगा। आंकलन इस बात से भी किया जा सकता है कि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का सारा वोट प्रतिशत आप के ख़ाते में गया जिससे आप को इतना बड़ा बहुमत मिला। अब देखना है कि अपने काम और वादों के दम पर केजरीवाल अन्य प्रदेशों की जनता को कितना लुभा पाते हैं।
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