एक शख़्स है... मैं उसके पास हर कुछ दिन में मिलने चला जाता हूँ।
आज मैं आपको एक शख़्स की कहानी सुनाने वाला हूँ। एक शख़्स है... मैं उसके पास हर कुछ दिन में मिलने चला जाता हूँ। आप उसे ठीक उतना ही जानते हैं, जितना मैं। कभी रात के 2 बजे जब कभी मेरी नींद उचट जाती है, तो कभी-कभी मैं उसके बारे में सोचता हूँ। किसी ज़माने में वो बहुत प्रसिद्ध था, लेकिन शायद ही उसको इस बात का घमंड कभी रहा होगा। पढ़ा लिखा भी है। इंसान को इतना तो पढ़ लिख लेना चाहिए, कि उसके भीतर का घमण्ड ख़त्म हो जाए। अगर इतना नहीं पढ़ा, तो फिर क्या ही पढ़ा।
मैं जब भी उसके पास जाता हूँ, तो मुझे भी उसके जानकार होने का एहसास होता है। ऐसे लोग होते हैं न, जो भीतर ढेर सारा प्रेम छिपाए रहते हैं, पर कहते एक शब्द नहीं... ऐसे लोग, जिनसे कई बार बात करने पर आपको लगता है कि बस एनलाइटेनमेंट ही मिल गया हमको, मौन मुस्कान वाले लोग... गहरे... सागर जैसे। एक ऐसा शख़्स, जो किसी ईश्वर (या कुछ और) को नहीं मानता, हाँ शिव का भक्त ज़रूर है। मुझे यक़ीन है कि शिव को भी उसने भगवान जैसा नहीं देखा होगा, बल्कि वो उस गूढ़ संरचना को समझने की कोशिश में रहा होगा, जिसको जानने के बाद किसी ने कुछ ऐसा देखा, जिसका नाम उसने शिव रखा। शिव उसकी कहानी के मुख्य किरदारों में एक हैं, वो कई मौक़ों पर उनका ज़िक्र करता है।
फ़िज़िक्स और मैथमैटिक्स में अच्छी रुचि थी उसकी। मुझे लगता है कि जो फ़िज़िक्स को मैथमैटिक्स की भाषा में समझा ले, बस वो ही मैथमैटिक्स जानता है। काश... मुझे इतनी मैथमैटिक्स आती, कि मैं संगीत और दर्शन को इस भाषा में समझ सकता। वो समझ सकता है शायद, ऐसा मुझे लगता है...
तो, बात दरअसल ऐसी है कि वो जब तक मेरे सामने था, मैं उससे नहीं मिला। जब वो चल दिया, तो उसके नहीं होने का एहसास भी नहीं हुआ। जब इसकी भनक हुई, तो पता चला अब शायद नहीं मिलना हो पाएगा। लेकिन फिर भी कभी-कभी, मैं उससे मिलने उसके पास चला जाता हूँ।
पिछले कुछ दिनों में जब सब कुछ चुप सा हो गया है, गहरे एकान्त में मुझे एक टीस सुनाई देती है। उससे मिलने की चाह रखने वालों की। टीस... कुछ न कह पाने की, जो आख़िरी बार मिलने से पहले एक छोटा सा लम्हा निकाल कर चुपके से कह देना चाहिए। वो... जिसे कह देने के बाद कुछ भी कहना बाक़ी नहीं रहता। मैं शायद उनकी आवाज़ को सुन पाता हूँ, सुन नहीं भी पाता तो देख तो पाता हूँ... उनको कुछ नहीं चाहिए। वो उसे बस गुड नाइट कहने आते हैं, आइ लव यू कहने आते हैं, आइ मिस यू कहते हैं, उसकी अच्छी सेहत की कामना करते हैं। ये काम वो हर मिनट कर रहे हैं, इस मिनट में भी जब मैं ये लिख रहा हूँ, उस मिनट भी जब आप इसे पढ़ रहे हैं। वो ये काम कब तक करते रहेंगे, मुझे नहीं पता, लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप भी उनसे मिलें। आपको अच्छा लगेगा...
पिछले कुछ दिन से मैं उससे मिलने नहीं जाता, बस उससे प्रेम करने वालों को देखने जाता हूँ। प्रेम की एक परिभाषा ये भी है। हम जिससे नहीं मिल पाते, उसकी भली सेहत की कामना भर ही कर लेते हैं। आइ लव यू नहीं कह पाते, तो आइ मिस यू ही कह लेते हैं। वो भी नहीं कह पाते, तो बस इक छोटा सा दिल निकाल कर उसके पास रख आते हैं, हर दिन, कुछ मिनट निकाल कर, बस... अपनी ख़ुशी के लिए।
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